Monday, June 20, 2011

FOR MS. SUNITA BHASKAR..... DARD... (CANCER)

सचमुच... बहुत ही..दर्द सहते हैं.... जिन्हें ये बीमारी...लग जाती है...उनका हर पल हर लम्हा... कई पलों में, कई लम्हों में बदल जाता है... उनकी मुस्कराहट में भी दर्द का इल्म होता है, और कई बार वो हँसना चाहते हैं, लेकिन कमबख्त आँखों का पानी बहकर, उनकी मुस्कराहट को, उनकी हंसी को दर्द में तब्दील कर देती है....

रही तेरी नज़र सलामत, तो नज़र आऊँगा मैं भी,
गया जो घर से गुजर तू, तो गुज़र जाऊँगा मैं भी !!
जिन्दगी जिन्दा है दर्दों की दवा कर-कर के,
अब तो लगता है, एक दर्द से मर जाऊँगा मैं भी !!
कई नश्तर मेरे सीने में दफ़न है अब तक,
आज का जख्म भी मिल जाए, तो घर जाऊँगा मैं भी !!
मेरे मालिक, तू रहम करके, बुलाले मुझको,
जिस्म पर दाग ये लेकर के, किधर जाऊँगा मैं भी !! 



DARD... BY SURYADEEP ANKIT TRIPATHI - 20/06/2011

2 comments:

  1. बहुत खूब.. पर ये दर्द की दवा हो जाए .. और सब कुछ भला हो..

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