Monday, July 25, 2011

For Ms. Gunjan Goyal... Main Aur Mera Man...

कैसे लिखती ख़त में मैं अपना नाम
वो नाम - जिसे
तुमने कभी अपना कहा ही नहीं
ख्वाबों में जिसे कभी सजाया ही नहीं
आगोश में जिसे कभी लिया ही नहीं ....


पर लिखा ख़त...और उसमें समाये तुम्हारे जज़्बात... शायद उसको दिखे नहीं...
अहसास मर से गए.... और वो सिमट से गए तुम्हारी इस पाती में...जहाँ...शायद...तुम हो.. और वो यादें हैं..जिन्हें तुम अक्सर उकेर देती हो इन कोरे कागजों पर..क्योंकि इधर अहसास अभी मरे नहीं हैं...जिंदा हैं... और कलम में स्याही से घुल-घुल कर....शब्दों के रूप में अपनी कसक और कशिश दौनों को ही दिखा रहे हैं... एक स्वच्छ एवम पवित्र रचना......गुंजन जी ..

Saturday, July 23, 2011

for Mr. Ashok Kumar Pandey... (FB par Arajakta par Tippani)

चेहरों की इस पोथी में,
चित्र कई अलबेले हैं...
कोई अपनी कहानी आप कहे,
कुछ लोगों की सुन लेते हैं..
कुछ बच्चे हैं, जो खेल रहे, 
कुछ बड़े हैं जो खिला रहे 
कुछ तेरे-मेरे में उलझे, 
कुछ रोते को हैं हंसा रहे,
में भी इस पोथी का हिस्सा हूँ, 
किसी पृष्ट पे मैं भी दीखता हूँ, 
कुछ हूँ मैं लगता अपना सा, 
कुछ दुनिया सा मैं दिखता हूँ.
(सुर्यदीप) - २३/०७/२०११ 

Thursday, July 21, 2011

१३ ७ का दर्द (तेरे साथ का दर्द) - SURYADEEP ANKIT TRIPATHI -13 7 Ka Dard


कई बार..जिंदगी आपके हाथों से इस प्रकार फिसल जाती है... कि आपको पता ही नहीं चल पाता. जिंदगी जो आपकी अपनी थी..उसे जब कोई अनजाना आपसे जुदा कर देता है..तो एक अधूरी सी प्यास, एक कसक रह जाती है..
१३ ७ का दर्द (तेरे साथ का दर्द)
आँखों-आँखों में कटी रात, मगर वो नहीं आये !
कुछ अधूरी सी है हर बात, मगर वो नहीं आये !!
इस ज़माने ने कहा, चीखों से, गूँजा है शहर,
रोये-चीखे मेरे जज़्बात, मगर वो नहीं आये !!सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी

Saturday, July 16, 2011

for Mr. Giriraj Kshotriya - Anti Govt. View

क्षोत्रिय सर, 
आपके द्वारा प्रदर्शित की गई ये सूची हमें... ये बोध कराती है कि ..
आजादी मिलने के बाद भी भारत सिर्फ एक ही परिवार की बपौती बना हुआ है..
इस परिवार ने हर संभव प्रयास किया कि ये हमेशा देश के सर्वोच्च पद पर आसीन सह सके, और इसके लिए इस परिवार ने हर संभव हथकंडे अपनाये.
इस सूची को देखकर मुझे भारत देश को लोकतंत्र या प्रजातंत्र कहने में भी हिचक महसूस हो रही है. और दुःख इस बात का  है कि देश के लिए या देश को आजाद करने के लिए कई क्रांतिकारियों ने अपना बलिदान दिया, अपनी आहुति दी, उनका आज नामो-निशाँ तक नहीं हैं. 
मुझे जरा कोई ये बताये कि (नेहरु परिवार से लेकर आज राहुल गाँधी तक) देश पर राज करने और देश में भ्रस्टाचार को पनपाने के अलावा इस परिवार ने किया क्या है.
जिस प्रकार से आये दिन कुकुरमुत्तों की तरह भ्रस्टाचार के मामले इस सरकार के भीतर से आ रहे हैं... उसे देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस परिवार ने जब जब इस देश पर राज किया होगा तो कितना अधिक भ्रस्टाचार किया होगा..  ये जो आजकल हम देख रहे हैं ये तो.... उन बीजों के फल हैं जो इन्होने अपने पिछले राज काज के दौरान बोये थे.. 

और इस सरकार ने यदि आज भारत को कुछ दिया है तो वो है भ्रस्टाचार करने की छूट, महंगाई, भूखमरी. ये सरकार एक आम आदमी की सरकार नहीं हैं, ये सरकार हैं सिर्फ एक उच्च वर्ग की. यहाँ तक की प्रधानमंत्री को भी हम एक आम आदमी द्वारा चुना हुआ नहीं कह सकते.. क्योंकि उन्हें चुना गया है, किसी और ने, और जो एक कठपुतली मात्र हैं... और गूंगे का गुड खाकर बैठे हैं... मनमोहन सिंह जी इंसान बहुत अच्छे हैं, लेकिन सियासत की टकसाल में ऐसे सिक्के नहीं चला करते, अभी कुछ दिन पहले उन्होंने अपना मौन तोडा था और एक बंद कमरे में मीडिया को बुलाकर बहुत कुछ कहा..लेकिन वो यहाँ भी चूक गए... मीडिया को कहा, लेकिन जनता से सीधे मूंह बात नहीं करी....और हम जानते हैं कि मीडिया उनता ही छापता है जितना उसे छापने के लिए कहा गया हो... पता नहीं लोकतंत्र किसे कहते हैं...क्या इसे जहाँ एक जनता के चुने (परोक्ष) गए प्रतिनिधि को जनता से सीधे बात करने में झिझक महसूस होती है.... इससे तो बेहतर है वो मौन ही रहें...







Thursday, July 14, 2011

For Ms. Gunjan Goyal... Tum Bin Krishna..

बहुत ही सुन्दर एवं प्रेम परिपूर्ण समर्पण...अभी तक का सर्वश्रेष्ठ समर्पण....अर्पण किया है आपने.. 
प्रेम समर्पण माँगता है...तभी पूर्णता को प्राप्त होता है..
प्रेम वो नदिया है...जो केवल बहना जानती है... ऊँचें-नीचे पहाड़ों से, दर्रों से, कभी रेतों के घरोंदों से.....किसलिए.. अपने प्रेम रुपी समुद्र को पाने के लिए...
और उसी में विलुप्त हो जाने के लिए...अपना अस्तित्व खो देने के लिए...प्रेम भी यही है...यहाँ अपना अस्तित्व खोना पड़ता है, और स्वयं को समर्पित करना होता है..
"शुभ" सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी 

For Renu Mehra.... (Un ka Majaak) aur Meri... Ummeed.... 14/07/2011

दिल के टूटने का ग़म वो क्या जाने, 
ग़म के दरिया में डूबना वो क्या जाने...
उसने इक बार कहा, और हम ने बसा ली दुनियां,
टूटना फिर किसी उम्मीद का, वो क्या जाने...!!!
.......... विश्वास... आप नहीं करती... कम्बखत ये दिल करता है... और इस पर किसी का जोर नहीं... आँखें कई बार सच देखती भी हैं तो...
ये दिल उन आँखों में विश्वास की धुंध ले आती है.. और फिर से...हा फिर से...हम उम्मीद की दुनिया संजोने लगते हैं...

Friday, July 8, 2011

For Mr. Harish Tripathi...on his Pic...

प्रकृति की इस मनोहर...छटा को देखकर मेरा मन कुछ यूँ कहता है...
बादलों का संग पवन ने, आज फिर से पा लिया..
वृक्ष शाखाओं ने जैसे, नृत्य कर सब पा लिया..
मेघ ने देखो वहां, शीतल सा जल बरसा दिया....
शुष्क, रुष्ठ पत्थरों का, मन हरित सा कर दिया....
सूर्य भी बादल की चादर, ओढ़ के है छुप गया..
मन मेरा इन बादलों के, बीच जाकर बस गया.....
वहीँ बस गया...वहीँ रह गया......

Thursday, July 7, 2011

For Pratibimb Ji....

प्रतिबिम्ब जी...
इस बेहद खूबसूरत प्रभावित करने वाले देश भक्ति गीत में २ शब्दों का आक्रोश मेरी तरफ से भी...



उन गैर मुल्क दुश्मनों की, जान तुमने ली भली, 
पर आंधियाँ इस देश में, अब तक नहीं हैं क्यों टली, 
कर सर कलम तू द्रोह का, जन-जन तेरी आवाज़ हो...
जन-जन तेरी आवाज़ हो...
वतन की राह में, क्यों जवान ही शहीद हो....
क्यों जवान ही शहीद हो...
इस मुल्क की हर एक साँस, शहीद की मुरीद हो...
वतन की राह में, क्यों जवान ही शहीद हो......