Saturday, July 16, 2011

for Mr. Giriraj Kshotriya - Anti Govt. View

क्षोत्रिय सर, 
आपके द्वारा प्रदर्शित की गई ये सूची हमें... ये बोध कराती है कि ..
आजादी मिलने के बाद भी भारत सिर्फ एक ही परिवार की बपौती बना हुआ है..
इस परिवार ने हर संभव प्रयास किया कि ये हमेशा देश के सर्वोच्च पद पर आसीन सह सके, और इसके लिए इस परिवार ने हर संभव हथकंडे अपनाये.
इस सूची को देखकर मुझे भारत देश को लोकतंत्र या प्रजातंत्र कहने में भी हिचक महसूस हो रही है. और दुःख इस बात का  है कि देश के लिए या देश को आजाद करने के लिए कई क्रांतिकारियों ने अपना बलिदान दिया, अपनी आहुति दी, उनका आज नामो-निशाँ तक नहीं हैं. 
मुझे जरा कोई ये बताये कि (नेहरु परिवार से लेकर आज राहुल गाँधी तक) देश पर राज करने और देश में भ्रस्टाचार को पनपाने के अलावा इस परिवार ने किया क्या है.
जिस प्रकार से आये दिन कुकुरमुत्तों की तरह भ्रस्टाचार के मामले इस सरकार के भीतर से आ रहे हैं... उसे देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस परिवार ने जब जब इस देश पर राज किया होगा तो कितना अधिक भ्रस्टाचार किया होगा..  ये जो आजकल हम देख रहे हैं ये तो.... उन बीजों के फल हैं जो इन्होने अपने पिछले राज काज के दौरान बोये थे.. 

और इस सरकार ने यदि आज भारत को कुछ दिया है तो वो है भ्रस्टाचार करने की छूट, महंगाई, भूखमरी. ये सरकार एक आम आदमी की सरकार नहीं हैं, ये सरकार हैं सिर्फ एक उच्च वर्ग की. यहाँ तक की प्रधानमंत्री को भी हम एक आम आदमी द्वारा चुना हुआ नहीं कह सकते.. क्योंकि उन्हें चुना गया है, किसी और ने, और जो एक कठपुतली मात्र हैं... और गूंगे का गुड खाकर बैठे हैं... मनमोहन सिंह जी इंसान बहुत अच्छे हैं, लेकिन सियासत की टकसाल में ऐसे सिक्के नहीं चला करते, अभी कुछ दिन पहले उन्होंने अपना मौन तोडा था और एक बंद कमरे में मीडिया को बुलाकर बहुत कुछ कहा..लेकिन वो यहाँ भी चूक गए... मीडिया को कहा, लेकिन जनता से सीधे मूंह बात नहीं करी....और हम जानते हैं कि मीडिया उनता ही छापता है जितना उसे छापने के लिए कहा गया हो... पता नहीं लोकतंत्र किसे कहते हैं...क्या इसे जहाँ एक जनता के चुने (परोक्ष) गए प्रतिनिधि को जनता से सीधे बात करने में झिझक महसूस होती है.... इससे तो बेहतर है वो मौन ही रहें...







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