Wednesday, August 24, 2011

I AM ANNA HAZARE -SURYADEEP ANKIT TRIPATHI - 23/08/2011


अन्ना साहेब ने अभी कह दिया है... कि वो अनशन नहीं तोड़ेंगे और न ही ग्लूकोज़ ही लेंगे, ये उनकी अंतरात्मा की आवाज़ है, अर्थात अभी भी अन्ना हजारे अनशन पर हैं और देश का समर्थन और दुआएं इन महान आत्मा के साथ है. दूसरी ओर सरकार और उनके समर्थक जो अपने जीवित होने का विश्वास दिला रहे हैं, उनके अंतरात्मा उनका साथ कभी का छोड़-चुकी है क्योंकि वो जी रहे हैं एक पार्टी के लिए एक खोखली विचार-धारा के लिए, इतिहास गवाह है वो कभी देश के लिए जिए ही नहीं, जिए तो सिर्फ अपने लिए अपने प्रभुत्व के लिए और जो सिर्फ अपने लिए जीता है या जो भी कार्य सिर्फ अपने लिए करता है वो एक जानवर है और एक जानवर से देश को कोई उम्मीद नहीं करनी चाहिए. 

ख़बरों में दिखाया जा रहा है, सोनिया के हस्तक्षेप से हमारे मूक मनमोहन जी ने अन्ना को अनशन तोड़ने के लिए पत्र लिखा, अजी उन्होंने कहाँ लिखा, किसी से लिखाया और अपने हस्ताक्षर करके भेज दिया, अगर खुद लिखा होता तो शायद लिख भी नहीं पाते, क्योंकि शब्द कहाँ से लाते सोनिया जी तो बाहर गई हुई हैं. खैर अब ख़बरों के जरिये ये दिखाया जा रहा है की सोनिया और राहुल जी (इनको जी कहने का मन तो नहीं कर रहा लेकिन क्या करूं, मेरी अंतरात्मा भी शायद मेरे शरीर के किसी कोने में अभी जिंदा है) इस आन्दोलन में अपना हस्तक्षेप कर रहें हैं और उन्हें हीरो/हिरोइन बना कर पेश किया जा रहा है...खास कर राहुल गाँधी को, त्रिभुवन मठपाल जी ने बहुत सही कहा कि इतिहास दोहराया जा रहा है, जैसा आज़ादी की पहली लड़ाई के समय हुआ था. 

क्या हुआ था...भाई सबको पता है.. देश की पहली लड़ाई लड़ी भगत सिंह, आज़ाद, सुखदेव, नेताजी, गाँधी जी जैसे सच्चे क्रांतिवीरों ने, हाँ गाँधी जी भी क्रांतिवीर थे, क्रांतिवीर वो होता है जिसके प्रभाव से समाज में देश में परिवर्तन आता है और गाँधी जी ने भी अपने अहिंसात्मक असहयोग, अनशन, सत्याग्रह से देश की आज़ादी में योगदान दिया...और भगत सिंह, सुखदेव, आज़ाद, नेता जी, इन सभी सच्चे देश भक्तों ने अपना खून, अपनी जान देकर आजादी के लिए सच्चा संघर्ष किया, और लड्डू किसे मिला.. श्री श्री जवाहर लाल नेहरु को, जिनका वास्तविक नाम भी ये नहीं. 

कोंग्रेस की मानसिकता शुरू से ही इस देश में येन केन प्रकारेण संप्रभुता या सर्वोच्च पद पाने की रही, ताकि वो और उनका खानदान इस देश पर राज़ कर सके, और उन्होंने किया भी, क्योंकि जनता भी उगते सूर्य को ही नमन करती है और देश के पास इनके अलावा कोई विकल्प था भी नहीं...
लेकिन..तब से अब तक... उस संकीर्ण मानसिकता में कोई बदलाव नहीं आया.. बल्कि और भी निम्न स्तर की हो गई है... और उसका पालन आज सोनिया, राहुल कर रहे हैं...और साथ में हैं वो लालची, सत्ता लोलुप व्यक्ति जो इनके इस कार्य में आँखें बंद करके सहयोग दे रहे हैं..जैसे कपिल सिब्बल, दिग्विजय या इन जैसे खूसट और अंतरात्मा को मारकर जीते हुए लोग.  

अन्ना ने कहा कि ये आज़ादी की दूसरी लड़ाई है और यहाँ भी जब अनशन एक निर्णायक स्तिथि की ओर अग्रसर हो रहा है तो अपनी अपनी रोटियां सेकने के लिए अलग अलग दल के लोग, समुदाय, नेता, राहुल गाँधी, सोनिया को सामने लाया जा रहा है.. खास कर राहुल गाँधी को, उसके लिए एक मंच तैयार कराया जा रहा है, ताकि वो इस मामले में आकर अपने आपको हीरो साबित कर सके और जनता की नज़र में हीरो बन सके और उसके प्रधानमंत्री बनने के लिए एक मंच तैयार हो सके.

आज ८ दिन पूरे हो गए...क्या आठ दिन से इनके पास ८ मिनट का वक्त नहीं था की वो इस बारे में बोल सके या इसका समर्थन या असमर्थन खुले तौर पर कर सके, कर भी नहीं सकते थे..क्योंकि तब तक आग जली नहीं थी.. तवा चूल्हे पर नहीं चढ़ा था,... अब आग अपने प्रचंड रूप में है और तवा रुपी राजनीति भी अन्ना के अनशन रुपी चूल्हे पर रखा जा चुका है...अब केवल रोटियाँ सेकनी हैं..और उसके लिए कांग्रेस की महान आत्मा राहुल गाँधी जी आ रहे है..ताकि इस सभी किये धरे का क्रेडिट राहुल गाँधी को मिल सके....
SURYADEEP ANKIT TRIPATHI - 23/08/2011 - I AM ANNA HAZARE  

Friday, August 19, 2011

for Ms. Kiran Srivatava..... 20/08/2011

रुख हवाओं का भी हर कोई मोड़ नहीं सकता...
आँधियों में भी कोई इस कदर चल नहीं सकता ..
ये तो अन्ना का कारवां है, और है उनका जूनून..
सामने गर मंजिल हो, तो मुसाफिर रुक नहीं सकता...

तुम क्या जानो, जो कभी दो कदम चला ही नहीं..
अपने पैरों से कभी धूल को लिपटाया ही नहीं..
ये तो वो लोग हैं जो मिटते हैं, ज़माने के लिए..
है ज़माना सदा इनसे, ये ज़माने से नहीं..... सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी - २०/०८/२०११ 

Thursday, August 18, 2011

for Ms. Kiran Srivastava (meetu) -




किरन जी,
भगवान् आपको सद्बुद्धि दे, मैं बस यही कहना चाहूँगा !!
भीड़ तो आप भी जुटाना चाह रहीं हैं यहाँ आपकी वाल पर इस प्रकार की बेतुकी बयानबाजी करके.
और दूसरी बात ये कि अन्ना का चेहरा चाहे आपकी नज़र में जैसा भी है वो सबके सामने है, सब जानते हैं क
ि अन्ना कैसे हैं और उन्होंने देश के लिए क्या किया है,
और आपका क्या भरोसा आप तो आये दिन अपना चेहरा तक बदलती रहती हैं...आपके खुद की पहचान तो एक नहीं हैं...और आपकी भाषा से या बयान बाज़ी से आपका कोंग्रेस प्रेम पहले ही जग जाहिर है...तो आपसे इस मामले में ऐसे ही बेतुके बयान की उम्मीद थी.
Yesterday at 10:58 ·  ·  9 people - 18/08/2011 

Monday, August 8, 2011

for Mr. Om Prakash Nautiyal...- Chaand ki Tulna...

1. व्यक्ति की सुन्दरता की तारीफ किसी व्यक्ति की सूरत देख के नहीं की जाती भाई साहब.... तारीफ़ की जाती है... उस सूरत से झलकती आभा की.. या सूरत से प्रदर्शित होने वाले उसके सदगुणों के प्रवाव की... उसी तरह किसी स्त्री की तुलना चाँद से नहीं बल्कि उसकी चांदनी से की जाती है.... जो उससे झलकती है. और मन को शीतल करती है.. जिसे देखकर मन चाँदी की तरह धवल और सुखद अहसास देता है.... . चाँद तो एक मात्र जरिया है.. चांदनी तक पहुँचने के लिए....

2. रमेश जी... मैं मुस्कुराया इसलिए...क्योंकि...यहाँ आप भ्रमित हो गए...जैसे दुनियाँ  हो जाया करती है... चाँद को देखकर... उसकी आभा को देखकर....
हर कोई खुश होकर चाँद की बढाई करता है.. लेकिन... भूल जाता है की चाँद की अपनी कोई चमक नहीं होती...वो चमकता है...सूर्य की रौशनी से..
इसलिए मैंने चाँद की चांदनी को एक आभा का नाम दिया... लोग भूल कर जाते हैं... उन्हें जो दीखता है.. उसे ही सच मान बैठते हैं...पर वास्तविकता कुछ और ही होती है...जो केवल अंतर्मन की आँखों से ही दिख पाती हैं... 
और रही बात स्त्रियों की, तो सही मानो तो...कोई भी स्त्री नहीं चाहेगी कि उसको कोई टकटकी लगा कर देखा करे... चाहे वो उसका प्रियतम ही क्यों न हो..क्योंकि स्त्री चाहे कैसी भी हो.. शर्म और आदर उसका गहना हुआ करता है... और संकोच उसकी छठी इन्द्री जो उसे बुरा काम करने या करवाने से रोकती है.. 

Saturday, August 6, 2011

for Mr. Dilip Singh ji - Value of A Daughter in the eye of A Mother

प्रेम जो है, वो वात्सल्य के समुन्द्र की एक छोटी सी बूंद है..
स्नेह, करुना और आदर नामक सरिताओं के साथ प्रेम नामक बूंद अपना अस्तित्व बनाकर बहती है..और अंततः उसी वात्सल्य के समुन्द्र में आकर मिल जाती है..जहाँ से वह पैदा हुई...

Thursday, August 4, 2011

For Mr. Ashwani Sridhar - Sansad ki Kaamchori par...


बंधू... आज नहीं.. पिछले कई वर्षों से संसद एक बहस की नहीं बल्कि एक तरह की बाज़ार बन चुका है, जहाँ रोज़ खरीदने और बेचने वाले आते हैं.
और अपने फायदे का सौदा करके चाय नास्ता करके अपनी तनख्वाह का एक दिन पक्का करके चले आते हैं.
उन्हें उस आम आदमी से कोई मतलब नहीं या कोई वास्ता नहीं.. जिसके लिए उन्हें यहाँ बैठ कर, सोच विचार कर कोई सार्थक निर्णय लेना होता है.
क्योंकि आज नेता नामक ये शब्द इतना घटिया और बाजारू हो चुका है, कि शायद इन्हें इनके घर में भी वो इज्जत नहीं मिलती होगी...घरवाले भी इनके पैसे पर ऐश कररहे होंगे.. लेकिन कल कोई इन्हें आकर एक थप्पड़ भी मार जाये...तो... घरवाले भी इनका साथ नहीं देंगे..
नेता .. जिसके हाथ में एक आम आदमी अपना नेतृत्व सौंपता है, आज इसकी स्तिथि ये है कि... नेताओं के हाथ इतने गंदे हो चुके हैं कि कुछ भी अपना इनके हाथों सौंपने का मन ही नहीं करता.. लेकिन मजबूरी है....एक बेबसी है कि...हम लोकतान्त्रिक देश के नागरिक हैं...और हमें संविधान का सम्मान भी करना होगा और.. इन टुच्चे नेताओं को फिर से वोट देना होगा... यही प्रक्रिया चलती रहेगी... क्योंकि किसी ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति या उम्मीदवार को ये लोग खड़े ही नहीं होंगे देंगे....या उसे भी मरवा डालेंगे..क्योंकि... इनकी राजनीति की कोई नीति नहीं...

for Mr. Tanha Ajmeri - 04/08/2011

अश्क दो ख़त पे गिराए होते,
प्यार के शब्द, दो पिरोये होते,
कौन कमबख्त है जो फिर पूछे,
अपने क़दमों से चल वो आये होते !!....सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी


Tuesday, August 2, 2011

for Mr. Harish Tripathi..... 02/08/2011

बहुत ही पारदर्शी....मुस्कान...जहाँ से..आपका वक्तित्व दिखाई दे रहा है...
मुस्कान यदि देखा जाये तो एक टीस को दबाने के लिए ही..चेहरे पर लाइ जाती है..
क्योंकि ...यहाँ आपकी कशमकश को वो प्रदर्शित करती है.... और जब कोई अंतर्मन से खुश होता है तो वह मुस्काता ही नहीं कह-कहे लगता है..
क्योंकि भीतर से.. वो ख़ुशी इतनी व्यग्र होती है की...आपके होंठ भी उसे रोक नहीं पाते और...वो स्वयं को विभाजित करके...उसे बाहर निकलने का स्थान देते हैं..जो आपको एक खूबसूरत हंसी के रूप में अक्सर सुनाई दी जा सकती है....
त्रिपाठी जी.. मुझे याद हैं,..आप से वो छोटी सी मुलाक़ात मेरे घर के बाहर आँगन की....जहाँ आप बहुत कुछ कहना चाह रहे थे.. अपनी लेखनी के माध्यम से..शायद यही एक उपयुक्त समय है... बधाई....