Saturday, August 6, 2011

for Mr. Dilip Singh ji - Value of A Daughter in the eye of A Mother

प्रेम जो है, वो वात्सल्य के समुन्द्र की एक छोटी सी बूंद है..
स्नेह, करुना और आदर नामक सरिताओं के साथ प्रेम नामक बूंद अपना अस्तित्व बनाकर बहती है..और अंततः उसी वात्सल्य के समुन्द्र में आकर मिल जाती है..जहाँ से वह पैदा हुई...

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