अश्क दो ख़त पे गिराए होते,
प्यार के शब्द, दो पिरोये होते,
कौन कमबख्त है जो फिर पूछे,
अपने क़दमों से चल वो आये होते !!....सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी
प्यार के शब्द, दो पिरोये होते,
कौन कमबख्त है जो फिर पूछे,
अपने क़दमों से चल वो आये होते !!....सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी
Aapke blog par zara deri se aayaa janab, maafi chahta huN. Ab aataa rahuNga..
ReplyDeleteThanks... Tanhaai...ji :)
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