कई बार..जिंदगी आपके हाथों से इस प्रकार फिसल जाती है... कि आपको पता ही नहीं चल पाता. जिंदगी जो आपकी अपनी थी..उसे जब कोई अनजाना आपसे जुदा कर देता है..तो एक अधूरी सी प्यास, एक कसक रह जाती है..
१३ ७ का दर्द (तेरे साथ का दर्द)
आँखों-आँखों में कटी रात, मगर वो नहीं आये !
कुछ अधूरी सी है हर बात, मगर वो नहीं आये !!
इस ज़माने ने कहा, चीखों से, गूँजा है शहर,
रोये-चीखे मेरे जज़्बात, मगर वो नहीं आये !!सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी
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