Monday, October 17, 2011

For Ms. Gita Pandit - 18/10/11

लकड़ियाँ गीली रहीं, आग सुलग नहीं पाई , 
रात भर रोया करी छत,  सुबह धूप नहीं आई, 
उठते देखा जो धुआं घर से, तो ख़ुदा खुश हो बैठा,
बच्चे ताकते रहे थाली, रोटियां नहीं आई !!..... suryadeep 18/10/2011

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