"तनाव की नाव बिना पतवार की बहती हुई होती है.. वो कहाँ जायेगी, कितना जाएगी....और कहाँ जाकर ठहरेगी....ये तो उलझनों से बहती हवा को महसूस करके ही बताया जा सकता है... उलझनों की हवा जितनी तेज़ होगी...तनाव की नाव...उतना ही भटकेगी और...अंत में शून्य रुपी भंवर में समाकर विलुप्त हो जाएगी... उपाय..... कभी भी उलझनों से न उलझो....बस !!!" - suryadeep ankit tripathi - 25/04/2011
No comments:
Post a Comment