Suryadeep Ankit Tripathi
इस आन्दोलन के पहली जीत, बधाई... लेकिन इस जीत पर गर्व कर सके, ऐसा कुछ करना होगा इस भावी कमेटी और इनके सदस्यों को, क्योंकि भ्रस्टाचार एक छूत का रोग है, और ये उसका इलाज करने वाले डॉक्टर को भी हो सकता है. ये पहला कदम है श्री अन्ना हजारे जी का, अब उन्हें और तेज़, और अधिक तेज़ चलना होगा, ताकि गया वक्त उनसे सवाल न पूछ सके और आने वाले वक्त की दरवाज़े पर वो इतना जल्दी पहुँच सके कि वक्त को उनसे कुछ पूछने की गुंजाइश ही न रहे. क्योंकि सवाल तो अब उठेंगे ही, पर अगर अन्ना अपनी मंजिल तक जल्दी पहुँच जाएँ तो ये सवाल कुछ देर के लिए थम सकते हैं.
कोई लड़ाई यदि लड़ी जाती है, तो वह जनता के द्वारा और जनता के लिए ही लड़ी जाती है, यहाँ भी वही मुद्दा है. ये लड़ाई भी जनता को ही लड़नी है, अन्ना साहेब ने तो शुरुआत की है, लेकिन इससे पहले भी शुरुआत हो चुकी है, जय प्रकाश जी इसके उदाहरण हैं, वो भी जीते थे...लेकिन वही ढाक के तीन पात. अब अन्ना साहेब के पास आज का मीडिया है, अधिक संसाधन हैं, और सबसे बड़ी बात ... लोहा अभी गरम है, चोट करने का सही वक़्त, और अन्ना साहेब ने इस बात का पूरा फायदा उठाया, रही बात मनमोहन सिंह जी की तो उन्हें उनकी बात माननी ही थी, कारण था भ्रस्टाचार पर उनकी सकारात्मक सोच को जनता के समक्ष लाना, ताकि जनता को ये न लगे की हमारे प्रधानमंत्री भी भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगाना चाहते. तो यदि सारे घटनाक्रम पर एक पैनी दृष्टी डाली जाये तो हम पाते हैं कि अन्ना साहेब द्वारा की गई उनकी वो कोशिश जहाँ उन्हें जीत का पहले से ही पता था. आगे आगे देखिये होता है क्या......जय हो.
कोई लड़ाई यदि लड़ी जाती है, तो वह जनता के द्वारा और जनता के लिए ही लड़ी जाती है, यहाँ भी वही मुद्दा है. ये लड़ाई भी जनता को ही लड़नी है, अन्ना साहेब ने तो शुरुआत की है, लेकिन इससे पहले भी शुरुआत हो चुकी है, जय प्रकाश जी इसके उदाहरण हैं, वो भी जीते थे...लेकिन वही ढाक के तीन पात. अब अन्ना साहेब के पास आज का मीडिया है, अधिक संसाधन हैं, और सबसे बड़ी बात ... लोहा अभी गरम है, चोट करने का सही वक़्त, और अन्ना साहेब ने इस बात का पूरा फायदा उठाया, रही बात मनमोहन सिंह जी की तो उन्हें उनकी बात माननी ही थी, कारण था भ्रस्टाचार पर उनकी सकारात्मक सोच को जनता के समक्ष लाना, ताकि जनता को ये न लगे की हमारे प्रधानमंत्री भी भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगाना चाहते. तो यदि सारे घटनाक्रम पर एक पैनी दृष्टी डाली जाये तो हम पाते हैं कि अन्ना साहेब द्वारा की गई उनकी वो कोशिश जहाँ उन्हें जीत का पहले से ही पता था. आगे आगे देखिये होता है क्या......जय हो.
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