Tuesday, April 5, 2011

for Mr. Sushil Joshi.... Bhrastaachaar....

इसी तर्ज़ पे....


यूँ तो लिखते हैं, सब देश के नाम का,
पर जो तुमने लिखा है, वही काम का, 
जितनी की जाए तारीफ़ कम हैं यहाँ, 
तेरी स्याही कलम ने गज़ब ढा दिया.....  शुभ "सुर्यदीप" - ०६/०४/२०११ 


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