प्रथम मार्ग सत मान रे, लक्ष्य मिले धरि धैर्य,
असत राह कंटक रहे, गिरे मान अरु शौर्य,
पुलिक सतसंगत पुष्प सदा, सत्य सरोवर माहि,
असत तड़ाग बसी बैर मगर, गरल सर्प मुख माहि,
अर्थात - सत्य वो प्रथम मार्ग है, जिसे हमें अपनाना चाहिए, इस मार्ग पर चलते रहने से मंजिल जरूर मिलती है, लेकिन ये मार्ग आपकी धैर्य की परीक्षा लेता है. और वहीँ दूसरी और असत्य का मार्ग काँटों से भरा हुआ है, जिस पर चलकर हमें अपना मान सम्मान और शौर्य खोना पड़ता है. इसी प्रकार सत्य रुपी सरोवर में उज्जवल पुष्प हमेशा ही पुलकित होते रहते हैं, क्योंकि उन्हें सत्संग की खाद और जल मिलता रहता है. लेकिन असत्य के तालाब में हमेशा मगरमच्छ रुपी बैर ही रहा करता है, जिस प्रकार सर्प के मुख में विष. "शुभ" सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी - १६/०४/२०११
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