Wednesday, January 11, 2012

For Ms. Renu Mehra - 6/1/2012


दिल के रिश्तों को जो समझ न सका...
प्यार के रंग में जो ढल न सका..
आँख रोई, जिगर भुला न सका....
दिल का गुल फिर कभी भी खिल न सका.... for renu mehra 6/1/12

No comments:

Post a Comment