काहे रूठे मोसे मोरा श्याम रे,
करूँ का जतन अब बोल कन्हैया..(२)
किस बिधि बने मोरा काम रे..... काहे रूठे मोसे.......
जलभरी पनही टूटे अब या, रूठे सब संसार.....
मोरे लाला दोष न दूँगी चाहे, छूटे सखियाँ चार...
नहीं डाटूंगी फिरे चाहे ग्राम रे...... काहे रूठे मोसे.... {कान्हा-यशोदा संवाद - सुर्यदीप - २९/१२/२०११)
waah.
ReplyDeleteTHANKS.. NISHA JI.. :)
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