हम पागल हैं, तुम पागल हो,
पागल ये सारा ज़माना है,
दर्द नहीं, तकलीफ नहीं जहाँ,
ऐसा इक प्यारा कोना है ,,
भिन्न- भिन्न हैं लोग यहाँ पर,
भिन्न - भिन्न हैं टोलियाँ,
पर जब सब मिल यहाँ हैं जाते,
करते हंसी, ठिठोलियाँ,
एक दूजे की टांग ये खींचे,
एक दूजे के बाल भी,
पागलपंती करे ये थोड़ी,
थोड़ी प्यार संभाल भी,
हम पागल हैं, तुम पागल हो,
पागल ये सारा ज़माना है,
दर्द नहीं, तकलीफ नहीं जहाँ,
ऐसा इक प्यारा कोना है ,,
सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी - १७/०४/२०११
अच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....
ReplyDeleteThanks...I agree with you...
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