ग़म के दरिया में डूबना वो क्या जाने...
उसने इक बार कहा, और हम ने बसा ली दुनियां,
टूटना फिर किसी उम्मीद का, वो क्या जाने...!!!
.......... विश्वास... आप नहीं करती... कम्बखत ये दिल करता है... और इस पर किसी का जोर नहीं... आँखें कई बार सच देखती भी हैं तो...
ये दिल उन आँखों में विश्वास की धुंध ले आती है.. और फिर से...हा फिर से...हम उम्मीद की दुनिया संजोने लगते हैं...
khubbb bahaut khubbb......
ReplyDeleteThanks...Gunjan ji....
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