Monday, July 25, 2011

For Ms. Gunjan Goyal... Main Aur Mera Man...

कैसे लिखती ख़त में मैं अपना नाम
वो नाम - जिसे
तुमने कभी अपना कहा ही नहीं
ख्वाबों में जिसे कभी सजाया ही नहीं
आगोश में जिसे कभी लिया ही नहीं ....


पर लिखा ख़त...और उसमें समाये तुम्हारे जज़्बात... शायद उसको दिखे नहीं...
अहसास मर से गए.... और वो सिमट से गए तुम्हारी इस पाती में...जहाँ...शायद...तुम हो.. और वो यादें हैं..जिन्हें तुम अक्सर उकेर देती हो इन कोरे कागजों पर..क्योंकि इधर अहसास अभी मरे नहीं हैं...जिंदा हैं... और कलम में स्याही से घुल-घुल कर....शब्दों के रूप में अपनी कसक और कशिश दौनों को ही दिखा रहे हैं... एक स्वच्छ एवम पवित्र रचना......गुंजन जी ..

2 comments:

  1. मन की पीड़ा को व्यक्त करती सुन्दर रचना.

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