Wednesday, November 30, 2011

For Mr. Ashvani Sharma - Bachhe Bade Ho Gaye Hain.. 01/12/2011

स्पर्श - किसी भी ज्ञान को प्राप्त करने के लिए... सम्बंधित कर्ता या कर्म का स्पर्श आवश्यक होता है.. किसी चीज़ को अपने हाथों से छूकर ही हम उसके बारे में पूर्ण ज्ञान प्राप्त कर सकते है...
इन्टरनेट, कंप्यूटर,चलचित्र आदि द्वारा हमारा मन और मस्तिष्क किसी भी वस्तु, जीव से सम्बंधित ज्ञान बिना उसको स्पर्श किये पा तो सकता है, लेकिन उसको आत्मसात या अनुभव नहीं कर सकता. अत: आज की काल्पनिक दुनियाँ आपको ज्ञान तो बाँट सकती है, लेकिन आपको उसका आत्मसात या अनुभव नहीं करा सकती और ऐसा ज्ञान एक अपूर्ण ज्ञान ही कहला सकता है.  
आपकी रचना सही मायने में आपके भीतर से निकली हुई और अनुभव की हुई एक ऐसी वेदना है जिसकी पीड़ा इस कविता के शब्दों से महसूर हो रही है, साथ ही इस पीड़ा से जो रस टपक रहा है वो हर किसी की अंतरात्मा तक को भिगो रहा है...और यही गीलापन हमें आपकी सवेदना को स्पर्श करने की अनुभूति दे रहा है..

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