सहजता ही सरलता और सुगमता लाती है. जहाँ तक हो सके सहज रहें...जिंदगी में सुगमता रहेगी.
समझौता जीवन का इक ऐसा पहलु है जिसे आप अनदेखा नहीं कर सकते, ये किसी बीमारी के उपचार के लिए लगाया गया वो मलहम है, जिसे लोग अपना स्पर्श देकर बाहरी शरीर पर लगाते हैं पर इसका असर भीतर तक होता है. कई लोग मलहम की जगह गोलियों (tablets) का प्रयोग करते हैं, जिसे निगलना होता है..यहाँ उनकी मजबूरी होती है... पर असर वो भी करती हैं. अतः समझोते जिंदगी से जुडी ऐसी सच्ची कहानियां होती हैं, जिन्हें हमें सुनना होता है, समझना होता है और उस पर अमल भी करना होता है.
आपके सामने सच बोल सकें, चाहे वो आपके लिए अच्छा हो या बुरा, ऐसे ही मित्र वास्तविक मित्र होते हैं. पीठ पीछे की गयी प्रसंसा या बुराई केवल भ्रम ही है जिसका अस्तित्व गौण होता है. क्योंकि पीठ पीछे की गई बातें (अच्छी या बुरी) आपके पास आते-आते अपना रंग, रूप, स्वाद और महत्त्व खो देती है.
लेकिन इंसान कभी भी इक सा नहीं रहता, परिवर्तन उसके लिए जरूरी है, चाहे वो शारीरिक हो या वैचारिक, शरीर पर तो उसका बस नहीं, लेकिन विचारों में फेर बदल करते हुए इंसान अपने आपको समय के अनुरूप ढाल सकता है. अब विचार अच्छे हैं या बुरे, किसे उसे ग्रहण करना है किसका उसे त्याग करना है, इसका निर्णय उस इंसान का विवेक और बुद्धि पर निर्भर होता है. इसीलिए हमें आज के वातावरण में ऐसे बिरले इंसान कम ही मिलते हैं जो हमेशा अपने कुछ चंद उसूलों या निर्णयों के लिए ही जिया करते हैं.
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