Saturday, December 10, 2011

For Mr. Ramesh Barola - Pagalpan, Deewanapan aur Psycho - 10/12/2011

दीवानापन और पागलपन वह अवस्थाएं हैं जहाँ आपका मस्तिस्क आपके नियंत्रण में पूरी तरह नहीं रह पाता.
ये वो अवस्था या स्तिथि होती है जब आपके दिमाग में केवल एक ही चीज़ हर समय विचरण करती रहती है, और उसी जगह पर आपका मस्तिस्क अपने विचारों को रोक लेता है इसलिए वही उस व्यक्ति की जिंदगी बन जाती है और उसे ही वह बार बार दोहराया करता है, लेकिन जैसा कि आपने इन शब्दों को किसी को चाहने के सन्दर्भ में लिया है तो उसी सन्दर्भ में कहना चाहूँगा कि "जब आप किसी को इस तरह से चाहने लगते है, कि आपके दिमाग पर, आपके व्यक्तित्व पर वो एक नशे की तरह छा जाता है, और उसी के बारे में सोचना, बोलना या उसी को देखना आपका दिमाग पसंद करने लगता है, यही अवस्था पागलपन और दीवानेपन की हद तक किसी को चाहना होता है, ऐसी स्थिति में किसी को चाहना एक हद तक ही होता है, और यहाँ आपके प्रेम में आपका स्वार्थ हावी नहीं रहता. लेकिन...
phycho (साइको) एक प्रकार का मनोरोग है, एक भ्रम है, जहाँ किसी भी चीज़ या किसी को पाने की लालसा उसके मन-मस्तिष्क में ही नहीं, अपितु उसके अमर्यादित व्यवहार में भी दिखाई देती है, चाहना बुरी बात नहीं, लेकिन छीनना बुरी बात है, यहाँ phyho (साइको) व्यक्ति यही करता है, उसका प्रेम, प्रेम न होकर आसक्ति बन जाता है, जो ठीक नहीं, और इसका इलाज़ जरूरी है.
"संक्षेप में किसी की पूजा करने में बुराई नहीं है, लेकिन उस पर आसक्त होना ठीक नहीं" "शुभ" सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी - १०/१२/२०११

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