Wednesday, December 21, 2011

For Teen Paati - (Pratibimb ji) - Tark, Vitark, Kutark - 22/12/2011


"तर्क सुशब्द सार्थक सदा,
वितर्क विलोम विधाय !
जेहि अक्षर नहीं घर-घट,
सोही कुतर्क कहलाय !! "
अर्थात - "किसी सार्वभौम विषय पर अपने शब्दों को समुचित और सार्थक रूप से रखने की विधि तर्क कहलाती है, वहीँ यदि उसी विषय पर आलोचनात्मक या विपक्ष टिपण्णी की जाती है तो वो वितर्क कहलाता है. और जो शब्द विषय से भटके हुए होते हैं, जिनका उस विषय से कोई सरोकार नहीं होता, अथवा जिन शब्दों का न घर होता है न संसार...वो कुतर्क कहलाते हैं.."
"शुभ" सुर्यदीप अंकित त्रिपाठी २२/१२/२०११

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