Thursday, March 31, 2011

उम्मीद (भरोसा) -


उम्मीद (भरोसा) -
यही उम्मीद है, जिसपे है कायनात टिकी,
यही उम्मीद है, जिसमें मोहोब्बतें है पली,
यही उम्मीद है, जिससे सुकून मिलता है,
दुश्मनों मैं भी दोस्ती का प्यार मिलता है,
यही उम्मीद है, जो हर वक़्त साथ रहती है
कि वक़्त आएगा तेरा भी, यही कहती है,
इसी उम्मीद पे रातों से सहर होती है,
इसी उम्मीद पे दीनों कि गुजर होती है,
इसी उम्मीद से, कट जाते है, रस्ते मुश्किल,
इसे उम्मीद के बल पर ही पाते हैं मंजिल ,
ए दोस्त तू भी कभी, उम्मीद से रूबरू हो ले,
बना ले दोस्त किसी को, किसी का तू भी हो ले,
तमाम रास्ते मिल जायेंगे, होगी सुबह नयी,
तू अकेला न होगा, हमसफ़र भी होंगे कई,
तू अकेला न होगा, हमसफ़र भी होंगे कई,
सुर्यदीप "अंकित" - 01/04/2011

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