Monday, March 28, 2011

२१/०२/२०११ -Mr. Pravesh Vishth


सत्य को स्वीकार कर, असत्य तू नकार दे,
गढ़ शिल्प सत्य प्रेम-मय, अनहोनियाँ बिसार दे !!
जो प्रेम और विश्वास से, नींव घर की तू धरे, 
हो बंध हो अटूट सम, असत्य-सत्य रहे परे !! 
"शुभ" {सुर्यदीप} - २१/०२/२०११  
for Mr. Pravesh Vishth  

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